— दुशमन के दुश्मन —
गजब का तमाशा है
नही कोई आशा है
जिधर देखो ,जब देखो
निराशा ही निराशा है !!
एक दुश्मन की भी
दोस्ती का अंजाम देखो
दुश्मनी निभाते हुए
रोजाना सब देखो !!
जीने नही देते
आपस में एक दूजे को
खूनो खराब की
जरा तुम रफ़्तार देखो !!
बिछा रहे हैं जमीन पर
लाखों की लाशो को
खींचती हुई दुश्मनी
की लकीर देखो !!
दुश्मन है, दुश्मनी ही
निभाएगा हर वक्त
निराशा कब बदलेगी
आशा में इन्तेजार देखो !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ