दुल्हन
हूँ दिल में हज़ारों अरमान लिए
आँखों में प्यार का सम्मान लिए
लबों पे खुसी का पैगाम लिए
दिल में उलझनों का आसमान लिए
मै हूँ दुल्हन….
है एक तरफ नयी दुनिया में कदम रखने का उत्साह
नए-नए एहसास दिल में नए-नए जज्बात
तो दूसरी ओर है मुझे मायके की भी परवाह
कहीं खो न जाये आँगन से हसीं भी मेरे साथ
दिल चाहता है सोलह श्रींगार करूँ
अपनी साज-ओ-सज्जा में कोई कमी न रखूं
अपनी खूबसूरती पर इतराऊं या,
चेहरा छुपाये शर्म से खुद छुप जाऊं
आ रही मिलन की घड़ियाँ नजदीक
जिनके लिए नैनों ने कई सपने सजाये
मान लुंगी क्या उनकी सारी बातें…
या रह जाउंगी दूर बस हाथों से चेहरा छुपाये
उलझनें बहुत सी है, धडकनों में रफ़्तार है
ये है नयी दुनिया में कदम रखने का डर
या फिर उनके लिए मेरा प्यार है..
आइना देख भी शर्मा रही हूँ
थोडा सा मन में घबरा रही हूँ
नयी उमंगें दिल में लिए
साजन मै तुम्हारे घर आ रही हूँ………