Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Dec 2021 · 1 min read

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग:29

महाकाल क्रुद्ध होने पर कामदेव को भस्म करने में एक क्षण भी नहीं लगाते तो वहीं पर तुष्ट होने पर भस्मासुर को ऐसा वर प्रदान कर देते हैं जिस कारण उनको अपनी जान बचाने के लिए भागना भी पड़ा। ऐसे महादेव के समक्ष अश्वत्थामा सोच विचार में तल्लीन था।

कभी बद्ध प्रारब्द्ध काम ने जो शिव पे आघात किया,
भस्म हुआ क्षण में जलकर क्रोध क्षोभ हीं प्राप्त किया।
अन्य गुण भी ज्ञात हुए शिव हैं भोले अभिज्ञान हुआ,
आशुतोष भी क्यों कहलाते हैं इसका प्रतिज्ञान हुआ।

भान हुआ था शिव शंकर हैं आदि ज्ञान के विज्ञाता,
वेदादि गुढ़ गहन ध्यान और अगम शास्त्र के व्याख्याता।
एक मुख से बहती जिनके वेदों की अविकल धारा,
नाथों के है नाथ तंत्र और मंत्र आदि अधिपति सारा।

सुर दानव में भेद नहीं है या कोई पशु या नर नारी,
भस्मासुर की कथा ज्ञात वर उनकी कैसी बनी लाचारी।
उनसे हीं आशीष प्राप्त कर कैसा वो व्यवहार किया?
पशुपतिनाथ को उनके हीं वर से कैसे प्रहार किया?

कथ्य सत्य ये कटु तथ्य था अतिशीघ्र तुष्ट हो जाते है
जन्मों का जो फल होता शिव से क्षण में मिल जाते है।
पर उस रात्रि एक पहर क्या पल भी हमपे भारी था,
कालिरात्रि थी तिमिर घनेरा काल नहीं हितकारी था।

विदित हुआ जब महाकाल से अड़कर ना कुछ पाएंगे,
अशुतोष हैं महादेव उनपे अब शीश नवाएँगे।
बिना वर को प्राप्त किये अपना अभियान ना पूरा था,
यही सोच कर कर्म रचाना था अभिध्यान अधुरा था।

अजय अमिताभ सुमन:सर्वाधिकार सुरक्षित

Language: Hindi
290 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दिवाकर उग गया देखो,नवल आकाश है हिंदी।
दिवाकर उग गया देखो,नवल आकाश है हिंदी।
Neelam Sharma
कर गमलो से शोभित जिसका
कर गमलो से शोभित जिसका
प्रेमदास वसु सुरेखा
सेवा जोहार
सेवा जोहार
नेताम आर सी
माफ करना, कुछ मत कहना
माफ करना, कुछ मत कहना
gurudeenverma198
*भाषा संयत ही रहे, चाहे जो हों भाव (कुंडलिया)*
*भाषा संयत ही रहे, चाहे जो हों भाव (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
LOVE
LOVE
SURYA PRAKASH SHARMA
दिल आइना
दिल आइना
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
अपनी क्षमता का पूर्ण प्रयोग नहीं कर पाना ही इस दुनिया में सब
अपनी क्षमता का पूर्ण प्रयोग नहीं कर पाना ही इस दुनिया में सब
Paras Nath Jha
फ़ब्तियां
फ़ब्तियां
Shivkumar Bilagrami
* दिल का खाली  गराज है *
* दिल का खाली गराज है *
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"खुशी"
Dr. Kishan tandon kranti
खुल जाता है सुबह उठते ही इसका पिटारा...
खुल जाता है सुबह उठते ही इसका पिटारा...
shabina. Naaz
सूरज - चंदा
सूरज - चंदा
Prakash Chandra
दो दिन की जिंदगी है अपना बना ले कोई।
दो दिन की जिंदगी है अपना बना ले कोई।
Phool gufran
स्त्री हूं केवल सम्मान चाहिए
स्त्री हूं केवल सम्मान चाहिए
Sonam Puneet Dubey
🙏 अज्ञानी की कलम🙏
🙏 अज्ञानी की कलम🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
निभाने वाला आपकी हर गलती माफ कर देता और छोड़ने वाला बिना गलत
निभाने वाला आपकी हर गलती माफ कर देता और छोड़ने वाला बिना गलत
Ranjeet kumar patre
"क्या देश आजाद है?"
Ekta chitrangini
बाल कविता: वर्षा ऋतु
बाल कविता: वर्षा ऋतु
Rajesh Kumar Arjun
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आग और धुआं
आग और धुआं
Ritu Asooja
मजबूरियों से ज़िन्दा रहा,शौक में मारा गया
मजबूरियों से ज़िन्दा रहा,शौक में मारा गया
पूर्वार्थ
मेरी फितरत ही बुरी है
मेरी फितरत ही बुरी है
VINOD CHAUHAN
महफिल में तनहा जले, खूब हुए बदनाम ।
महफिल में तनहा जले, खूब हुए बदनाम ।
sushil sarna
■ नज़्म-ए-मुख्तसर
■ नज़्म-ए-मुख्तसर
*प्रणय प्रभात*
'बेटी की विदाई'
'बेटी की विदाई'
पंकज कुमार कर्ण
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
ज़िंदगी की ज़रूरत के
ज़िंदगी की ज़रूरत के
Dr fauzia Naseem shad
2470.पूर्णिका
2470.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
लिख / MUSAFIR BAITHA
लिख / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
Loading...