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20 Mar 2024 · 1 min read

महफिल में तनहा जले, खूब हुए बदनाम ।

महफिल में तनहा जले, खूब हुए बदनाम ।
गैरों को देती रही, साकी भर -भर जाम ।
यह कैसी सरगोशियाँ, कैसी हैं यह दर्द –
लम्हा लम्हा दिन कटे, तनहा- तनहा शाम ।

सुशील सरना / 20-3-24

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