दुर्दशा
खत्म किनारा,स्वाह जिंदगी,बदल गई तस्वीर।
मरा धर्म,बढ़ा स्वार्थ, पाप बना बलबीर।
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फैला विष,खत्म काया,मिट्टी हुआ शरीर।
दुखित मन,दूषित आत्मा,पंगु हुई तकदीर।।
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मैला आंचल,कुपित सवेरा,विजय हुआ अंधेरा।
रचा षडयंत्र,फंसा आदमी,दुभर हुआ बसेरा।।
🥹🥹🥹🥹🥹🥹🥹🥹
टूटी हसरत, मलिन आशाएं,ईर्ष्या बनी अवतार।
झूठी दुनिया,गंदा प्यार,रिश्ते बनी तलवार।।
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मुर्दा जन,बुझी चिंगारी, जोश बना लाचार।
भूखी आंखे,सूखी प्यास,खामोश बना भरतार।।
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खत्म किनारा,तबाह जिंदगी,बदल गई तस्वीर।
मरा धर्म,बढ़ा स्वार्थ,पाप बना बलबीर।।