Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Apr 2020 · 1 min read

दुनिया को ऐंसी कलम चाहिए

अज्ञान से मुक्ति दिला सके, अंधकार को मिटा सके
अन्याय पर बार करे, अनाचार को खत्म करे
जग को एक उजियार चाहिए, दुनिया को ऐंसी कलम चाहिए
जो रुके नहीं तूफानों में, आए न कभी दबावों में
बुझे न तेज हवाओं में, अंतिम पंक्ति तक पहुंच सके
ऐसा परम प्रकाश चाहिए , दुनिया को ऐंसी कलम चाहिए
जो शोषण से बचा सके, और चौतरफा नजर रखें
बढ़ा सके मानव मूल्यों को, हिंसा नफरत मिटा सके
बता सके जो मर्म धर्म का, भाईचारा बढ़ा सकें
आतंकवाद को जीत सके, मानवता की धार चाहिए
दुनिया को ऐंसी कलम चाहिए
जो सत्य धर्म की पोषक हो, और अधर्म को घातक हो
दीन हीन को बढ़ा सकें, ज्ञान सभी का बढ़ा सके
समता ले आए जग में, आदर्श एक विश्वास चाहिए
दुनिया को ऐसी कलम चाहिए

Language: Hindi
8 Likes · 2 Comments · 206 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुरेश कुमार चतुर्वेदी
View all
You may also like:
*बात सही है खाली हाथों, दुनिया से सब जाऍंगे (हिंदी गजल)*
*बात सही है खाली हाथों, दुनिया से सब जाऍंगे (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
■ सकारात्मकता...
■ सकारात्मकता...
*Author प्रणय प्रभात*
लम्हों की तितलियाँ
लम्हों की तितलियाँ
Karishma Shah
कविता की महत्ता।
कविता की महत्ता।
Rj Anand Prajapati
आबूधाबी में हिंदू मंदिर
आबूधाबी में हिंदू मंदिर
Ghanshyam Poddar
भरी महफिल
भरी महफिल
Vandna thakur
माफ़ कर दो दीवाने को
माफ़ कर दो दीवाने को
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
दर्शन
दर्शन
Dr.Pratibha Prakash
Drapetomania
Drapetomania
Vedha Singh
अभी तो साथ चलना है
अभी तो साथ चलना है
Vishal babu (vishu)
रूप का उसके कोई न सानी, प्यारा-सा अलवेला चाँद।
रूप का उसके कोई न सानी, प्यारा-सा अलवेला चाँद।
डॉ.सीमा अग्रवाल
दरकती ज़मीं
दरकती ज़मीं
Namita Gupta
रसों में रस बनारस है !
रसों में रस बनारस है !
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
इस नयी फसल में, कैसी कोपलें ये आयीं है।
इस नयी फसल में, कैसी कोपलें ये आयीं है।
Manisha Manjari
भुक्त - भोगी
भुक्त - भोगी
Ramswaroop Dinkar
*क्यों बुद्ध मैं कहलाऊं?*
*क्यों बुद्ध मैं कहलाऊं?*
Lokesh Singh
बेटी है हम हमें भी शान से जीने दो
बेटी है हम हमें भी शान से जीने दो
SHAMA PARVEEN
पितरों के सदसंकल्पों की पूर्ति ही श्राद्ध
पितरों के सदसंकल्पों की पूर्ति ही श्राद्ध
कवि रमेशराज
वक्त बड़ा बेरहम होता है साहब अपने साथ इंसान से जूड़ी हर यादो
वक्त बड़ा बेरहम होता है साहब अपने साथ इंसान से जूड़ी हर यादो
Ranjeet kumar patre
जपू नित राधा - राधा नाम
जपू नित राधा - राधा नाम
Basant Bhagawan Roy
सुनो - दीपक नीलपदम्
सुनो - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
झूठ
झूठ
Dr. Pradeep Kumar Sharma
खुश होगा आंधकार भी एक दिन,
खुश होगा आंधकार भी एक दिन,
goutam shaw
ट्रेन का रोमांचित सफर........एक पहली यात्रा
ट्रेन का रोमांचित सफर........एक पहली यात्रा
Neeraj Agarwal
मंजिल तक पहुँचने के लिए
मंजिल तक पहुँचने के लिए
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
"अपने की पहचान "
Yogendra Chaturwedi
न्याय यात्रा
न्याय यात्रा
Bodhisatva kastooriya
दिखा तू अपना जलवा
दिखा तू अपना जलवा
gurudeenverma198
चंद्र शीतल आ गया बिखरी गगन में चाँदनी।
चंद्र शीतल आ गया बिखरी गगन में चाँदनी।
लक्ष्मी सिंह
दोस्ती का रिश्ता
दोस्ती का रिश्ता
विजय कुमार अग्रवाल
Loading...