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13 Nov 2020 · 1 min read

दुख उतना ही देना जितना सहा जा सके

अपने जज़्बात छुपाकर चुप रहा जा सके
दुख उतना ही देना जितना सहा जा सके

मुझको भुलाने में हो गया तू कामयाब
कोई जतन मुझे बता जो तुझे भूला जा सके

मेरे हौंसले को उसने कुछ इस क़दर तोड़ा
अब कैसे कोई दूसरा ख्वाब देखा जा सके

तेरे झूठे बहानो ने कुछ यूं मजबूर कर दिया
न कुछ बोला जा सके न कुछ पूछा जा सके

तेरा इश्क़ मेरे दामन में लगा वो दाग है “अर्श”
जो न कभी मिटाया जा सके न धोया जा सके

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