“दुःख-सुख”
“दुःख-सुख”
दुःख इंसान की आत्मा में जितनी गहरी रेखाएँ खींचता है, इंसान उसमें उतना ही सुख भरने में सक्षम होता है। सुख और दुःख दोनों अभिन्न साथी हैं। दोनों साथ-साथ पैदा होते हैं। जब कोई एक साथ रहता है तो दूसरा प्रतीक्षा कर रहा होता है।
“दुःख-सुख”
दुःख इंसान की आत्मा में जितनी गहरी रेखाएँ खींचता है, इंसान उसमें उतना ही सुख भरने में सक्षम होता है। सुख और दुःख दोनों अभिन्न साथी हैं। दोनों साथ-साथ पैदा होते हैं। जब कोई एक साथ रहता है तो दूसरा प्रतीक्षा कर रहा होता है।