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4 Jun 2019 · 1 min read

दीवाना हूँ यारों उसका

दिनांक 4/6/19

दीवाना तो यूँ ही
बदनाम है दोस्त
कहो उनसे
वह इतराये नहीँ
अपनी अदाओ पर
इतना

हर कोई
दीवाना होता है
दोस्त
किसी न किसी का
कोई दौलत का
तो
कोई वतन का

फकीर को बदनाम
किया पागल
कह कर
लेकिन
देखता नहीं कोई
दीवानगी उसकी
मौला पर

दीवाना बना कर
छोड़ा उसने मुझे
न रहा उसका
अपनों का

दीवाना
और क्या कहे
इस महफ़िल में यारों
जब तलक
रहेगी सांस
न छोड़ूंगा साथ उसका

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

198 Views
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