दीपोत्सव
‘दीपोत्सव’ अपने मूल रूप में दीपदान का उत्सव है। मानव का जीवन भी अन्धकार से प्रकाश की ओर यात्रा है। और, ये प्रकाश फैलता है अज्ञानता के दूर होने से।
अन्धकार दूर होता है- मिट्टी के दीये के प्रदीप्त होने से भी। महज एक चिंगारी और तेल से स्वर्णिम आभा सी प्रगट होने वाली वो मीठी सी रोशनी दिल को सुकून देती है और मन में हर्ष पैदा करती है। अपनी अन्तरात्मा के दीपक को इसी तरह जलाना जरूरी है, जिससे सम्पूर्ण जगत में प्यार और अपनत्व की रौशनी फैल सके।
दीपदान यानी ज्ञान का दान है। इसके लिए सच्चा शिक्षक बनना अत्यावश्यक है। इससे न केवल देने वाले का वरन् लेने वाले का भी अन्तरतम आलोकित होता है। वस्तुतः प्रकाश ही जीवन है। दीप उत्सव एक दिन, दो दिन या पाँच दिन का पर्व नहीं, बल्कि पूरे वर्ष भर चलने वाला उत्सव है।
हर एक दीपक ये कहता है
सुन लो मेरा सन्देश,
जितना हो सके बाँटो रोशनी
कहीं ना रहे तम शेष।
दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ…💐
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
साहित्य और लेखन के लिए
लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त
हरफनमौला साहित्य लेखक।