Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Oct 2024 · 1 min read

दीपोत्सव

‘दीपोत्सव’ अपने मूल रूप में दीपदान का उत्सव है। मानव का जीवन भी अन्धकार से प्रकाश की ओर यात्रा है। और, ये प्रकाश फैलता है अज्ञानता के दूर होने से।

अन्धकार दूर होता है- मिट्टी के दीये के प्रदीप्त होने से भी। महज एक चिंगारी और तेल से स्वर्णिम आभा सी प्रगट होने वाली वो मीठी सी रोशनी दिल को सुकून देती है और मन में हर्ष पैदा करती है। अपनी अन्तरात्मा के दीपक को इसी तरह जलाना जरूरी है, जिससे सम्पूर्ण जगत में प्यार और अपनत्व की रौशनी फैल सके।

दीपदान यानी ज्ञान का दान है। इसके लिए सच्चा शिक्षक बनना अत्यावश्यक है। इससे न केवल देने वाले का वरन् लेने वाले का भी अन्तरतम आलोकित होता है। वस्तुतः प्रकाश ही जीवन है। दीप उत्सव एक दिन, दो दिन या पाँच दिन का पर्व नहीं, बल्कि पूरे वर्ष भर चलने वाला उत्सव है।

हर एक दीपक ये कहता है
सुन लो मेरा सन्देश,
जितना हो सके बाँटो रोशनी
कहीं ना रहे तम शेष।

दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ…💐

डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
साहित्य और लेखन के लिए
लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त
हरफनमौला साहित्य लेखक।

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 3 Comments · 83 Views
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all

You may also like these posts

बेजुबानों से प्रेम
बेजुबानों से प्रेम
Sonam Puneet Dubey
*सर्दी (बाल कविता)*
*सर्दी (बाल कविता)*
Ravi Prakash
घनाक्षरी छंदों के नाम , विधान ,सउदाहरण
घनाक्षरी छंदों के नाम , विधान ,सउदाहरण
Subhash Singhai
"एक्सरे से"
Dr. Kishan tandon kranti
रिश्ता
रिश्ता
अखिलेश 'अखिल'
खुद से खुद को
खुद से खुद को
Dr fauzia Naseem shad
मां
मां
Phool gufran
জয় হোক শিবের
জয় হোক শিবের
Arghyadeep Chakraborty
तो मैं राम ना होती....?
तो मैं राम ना होती....?
Mamta Singh Devaa
वरद् हस्त
वरद् हस्त
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
मेरा भूत
मेरा भूत
हिमांशु Kulshrestha
बुढापे की लाठी
बुढापे की लाठी
Suryakant Dwivedi
आवारा
आवारा
Shekhar Chandra Mitra
जुदाई।
जुदाई।
Priya princess panwar
नशे की दुकान अब कहां ढूंढने जा रहे हो साकी,
नशे की दुकान अब कहां ढूंढने जा रहे हो साकी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मंजिलें
मंजिलें
Santosh Shrivastava
#मुक्तक
#मुक्तक
*प्रणय*
स्पर्श
स्पर्श
Kanchan Alok Malu
सर्द रातें
सर्द रातें
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
बात जुबां से अब कौन निकाले
बात जुबां से अब कौन निकाले
Sandeep Pande
2992.*पूर्णिका*
2992.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
प्रकाश
प्रकाश
Swami Ganganiya
10) पूछा फूल से..
10) पूछा फूल से..
पूनम झा 'प्रथमा'
बिल्ली पर कविता -विजय कुमार पाण्डेय
बिल्ली पर कविता -विजय कुमार पाण्डेय
Vijay kumar Pandey
#ਹੁਣ ਦੁਨੀਆ 'ਚ ਕੀ ਰੱਖਿਐ
#ਹੁਣ ਦੁਨੀਆ 'ਚ ਕੀ ਰੱਖਿਐ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
*** कुछ पल अपनों के साथ....! ***
*** कुछ पल अपनों के साथ....! ***
VEDANTA PATEL
“किरदार”
“किरदार”
Neeraj kumar Soni
* नाम रुकने का नहीं *
* नाम रुकने का नहीं *
surenderpal vaidya
" भींगता बस मैं रहा "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
*******खुशी*********
*******खुशी*********
Dr. Vaishali Verma
Loading...