दीप’आपको आवाज देता हर दिशाओं में
‘दीप’आपको आवाज देता हर दिशाओं में
विश्वास है पूरा आप होंगे इन्ही फ़िज़ाओं में
साये की तरह होंगे , मेरे आगें पीछे होंगे
मेरे हसने पे हसंते होंगे, मेरे रोने पे रोते होंगे
जब भी डरे होंठो से आवाज दी मैने
ऐसा लगा आप आसपास हो मेरे
एक अजीब सी झुंझुनि हुई मेरे हाथ पांव में
मैं आपको आवाज देता हर दिशाओं में
विश्वास है पूरा आप होंगे इन्ही फ़िज़ाओं में
ये लफ्जों में बयाँ क्या ,करूँ मुमकिन नहीं शायद
जब आपकी अर्थी को कांधा दे रहा था मैं
दर्द हुआ, कष्ट हुआ मेरे सीने में
कंपकंपाते हाथों से जब आपको अग्नि दे रहा था मैं
गीली धुंधली आंखों ने क्या क्या मंजर है देखा
कैसे बताऊं क्या हाल था मेरा
मन किया मुझे भी चले जाना चाहिए आपके पास
पर हांथों में अजीब सी ताकत मिली उस क्षण
जैसा कह रहे हो पापा , पोंछ आंसू ,स्वीकार अपनी जिम्मेदारियां
एहसास हुआ क्या होती है जिम्मेदारियां
इस एहसास ने आसुंओं का सैलाब ला दिया
मैं चीख चीख रो रहा था अकेला रात में
कोई बात नहीं , जहां जाना चाहते है जाइये आप
‘दीप’ आपको आवाज देगा हर दिशाओं में
आपको आना ही होगा जरूर मेरे ख्वाबो में
सपनो में आकर एक बार मुझे ‘कलु’ कह देना
‘दीप’ को गले लगाकर मुझे ‘बेटा’ कह देना
-जारी