दिव्य दृष्टि बाधित
शीर्षक – दिव्य दृष्टि बाधित लोग
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दिव्य दृष्टि बाधित लोग भी इंसान होते हैं।
जीवन में यह भी हैरान परेशान रहते हैं।
शोषण और लाचारी का फायदा लोग उठाते हैं।
हम समाज के साथ जीवन यापन करते हैं।
दिव्य दृष्टि बाधित लोगों को दृष्टि वाले ही न समझते हैं।
मानसिक शारीरिक सभी शोषण कर मानव समझते हैं।
दिव्य दृष्टि बाधित लोग तो अंधकार उजाला न समझते हैं।
हम सब समाजिक प्राणी जो दृष्टि के साथ अपराध करते हैं।
जीवन के रंगमंच में हम सभी को कर्म और धर्म निभाने है।
आज राह दिव्य दृष्टि बाधित लोग की हम सभी जानते हैं।
कठिन जीवन को अनमोल दिव्य दृष्टि बाधित लोग कहते हैं।
आओ कदम बढ़ाये कुछ दिव्य दृष्टि बाधित लोगों का सहयोग कर रहे हैं।
जीवन जिंदगी के रंगमंच में कुछ दया धर्म हम सभी रखते हैं।
पुण्य और ईश्वर के सच और कर्म हम सभी जानते और मानते हैं।
नीरज अग्रवाल
401, मंगल निलय, शक्ति नगर,
चन्दौसी, जनपद सम्भल उप्र
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