Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Oct 2024 · 3 min read

“दिवाली यानि दीपों का त्योहार”

“दिवाली यानि दीपों का त्योहार”

दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इसे हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इसके पीछे कई धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएँ हैं।
दिवाली का सबसे प्रसिद्ध कारण है रामायण की कथा से जो भगवान श्री राम, सीता माता और लक्ष्मण जी के अयोध्या लौटने की कहानी है, जब राम को 14 वर्षों का वनवास समाप्त हुआ, तो वे अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे, अयोध्यावासियों ने उनकी घर वापसी को खुशी के साथ मनाने का निर्णय लिया, उन्होंने घर-घर दीप जलाए और पूरे नगर को रौशन कर दिया, इस दिन को दीपावली के रूप में मनाया जाने लगा, जिसमें दिवाली का एक और महत्वपूर्ण पहलू है माँ लक्ष्मी का पूजन, माना जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी, धन और समृद्धि की देवी, धरती पर आती हैं, लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और उन्हें सजाते हैं ताकि माँ लक्ष्मी का स्वागत कर सकें, रात को दीप जलाकर उन्हें आमंत्रित किया जाता है, साथ ही साथ इसमें एक विशेष कथा जो जुडी है जो है भगवान श्री कृष्ण और नारकासूर की, जब भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया, तब उन्होंने इस दिन को खुशी के प्रतीक के रूप में मनाने का निर्णय लिया, इस दिन को भी दिवाली के रूप में मनाया जाता है क्योंकि यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है,
इसमें एक छोटी सी कहानी आपको मैं सुनाता हूँ, ये कहानी है पहाड़ के एक छोटे से गाँव में रहने वाले मासूम से बच्चे किशोर की,
“दीवाली की रात”
एक बार की बात है, पहाड़ के एक छोटे से गाँव में एक मासूम सा बच्चा किशोर अपने माता-पिता के साथ रहता था, दीवाली का त्योहार नजदीक था और किशोर इस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहा था, उसे दीवाली की मिठाइयाँ, पटाखे और खास तौर पर दीयों की रौशनी बहुत पसंद थी,
दीवाली से एक दिन पहले, किशोर ने अपने पिताजी से पूछा, पापा, इस बार हम कितने दीये जलाएंगे? किशोर के पिताजी ने मुस्कराते हुए कहा, जितने भी तुम चाहो बेटा, लेकिन याद रखना, दीये जलाने का असली मतलब अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ना है,
दीवाली की रात आई, पूरे गाँव में रौशनी बिखर गई थी, किशोर ने अपने घर के बाहर कई दीये सजाए और उन्हें जलाया, वह देख रहा था कि कैसे हर दिये रात के अंधेरे में चमक रहे थे, तभी उसने देखा कि एक बुजुर्ग महिला, जो उसके पड़ोस में रहती थी, अकेली अपने घर में बैठी थी,
किशोर ने सोचा, उसे भी दीवाली का आनंद लेना चाहिए, वह उसके पास गया और बोला, आमा, क्या आप हमारे साथ दीये जलाना चाहेंगी? बुजुर्ग महिला ने किशोर की मासूमियत देखी और मुस्कराते हुए कहा, बेटा, मुझे बहुत खुशी होगी,
किशोर ने उसे दीयों की एक छोटी सी टोकरी दी और दोनों ने मिलकर दीये जलाए, जैसे-जैसे वे दीये जलाते गए, पूरे वातावरण में रौशनी फैलने लगी, बुजुर्ग महिला की आँखों में खुशी के आँसू थे, उसने किशोर को गले लगाते हुए कहा, बेटा तूने आज मेरी दीवाली को खास बना दिया,
उस रात, किशोर ने सीखा कि दीवाली केवल पटाखे और मिठाइयाँ नहीं होती, बल्कि प्रेम, एकता और खुशियों को बांटने का त्योहार भी है, और इस तरह, किशोर ने अपनी छोटी-सी कोशिश से एक और दिल को रोशनी से भर दिया,
दीवाली की रौशनी हमेशा के लिए किशोर यादों में बस गई।
कहते है की संस्कृति और उत्सव का त्योहार दिवाली न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह प्रेम, एकता और भाईचारे का प्रतीक भी है, लोग एक-दूसरे को मिठाइयाँ बाँटते हैं, पटाखे फोड़ते हैं, और परिवार के साथ समय बिताते हैं, इस दिन घरों को दीयों, रंगोली और फूलों से सजाया जाता है,
दिवाली का त्योहार हमें अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने, बुराई पर अच्छाई की जीत और एकता का संदेश देता है, यह केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह जीवन की खुशियों को साझा करने और एक-दूसरे के साथ जुड़ने का अवसर है।
धन्यवाद
“लोहित टम्टा”

48 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
माॅ
माॅ
Santosh Shrivastava
महफ़िल में कुछ जियादा मुस्कुरा रहा था वो।
महफ़िल में कुछ जियादा मुस्कुरा रहा था वो।
सत्य कुमार प्रेमी
"वेदना"
Dr. Kishan tandon kranti
*आदर्शों के लिए समर्पित, जीवन ही श्रेष्ठ कहाता है (राधेश्याम
*आदर्शों के लिए समर्पित, जीवन ही श्रेष्ठ कहाता है (राधेश्याम
Ravi Prakash
संविधान में हिंदी की स्थिति
संविधान में हिंदी की स्थिति
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
स्त्रियाँ
स्त्रियाँ
Shweta Soni
दूर जाना था मुझसे तो करीब लाया क्यों
दूर जाना था मुझसे तो करीब लाया क्यों
कृष्णकांत गुर्जर
😊उर्दू में दोहा😊
😊उर्दू में दोहा😊
*प्रणय*
फ़लसफ़े - दीपक नीलपदम्
फ़लसफ़े - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
मेरे प्रभु राम आए हैं
मेरे प्रभु राम आए हैं
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
कलयुग में कुरुक्षेत्र लडों को
कलयुग में कुरुक्षेत्र लडों को
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
* कुछ पता चलता नहीं *
* कुछ पता चलता नहीं *
surenderpal vaidya
कठिन समय रहता नहीं
कठिन समय रहता नहीं
Atul "Krishn"
हां मैंने ख़ुद से दोस्ती की है
हां मैंने ख़ुद से दोस्ती की है
Sonam Puneet Dubey
सैनिक
सैनिक
Dr.Pratibha Prakash
3948.💐 *पूर्णिका* 💐
3948.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
आँगन में एक पेड़ चाँदनी....!
आँगन में एक पेड़ चाँदनी....!
singh kunwar sarvendra vikram
मात पिता गुरु बंधुप्रिय, भाखहि झूठ पे झूठ।
मात पिता गुरु बंधुप्रिय, भाखहि झूठ पे झूठ।
Sanjay ' शून्य'
The darkness engulfed the night.
The darkness engulfed the night.
Manisha Manjari
मेरे सपनों का भारत
मेरे सपनों का भारत
Neelam Sharma
संकल्प
संकल्प
Vedha Singh
मेरा नसीब मुझे जब भी आज़मायेगा,
मेरा नसीब मुझे जब भी आज़मायेगा,
Dr fauzia Naseem shad
अमीर घरों की गरीब औरतें
अमीर घरों की गरीब औरतें
Surinder blackpen
45...Ramal musaddas maKHbuun
45...Ramal musaddas maKHbuun
sushil yadav
पाती
पाती
डॉक्टर रागिनी
सुन लो प्रिय अब किसी से प्यार न होगा।/लवकुश यादव
सुन लो प्रिय अब किसी से प्यार न होगा।/लवकुश यादव "अजल"
लवकुश यादव "अज़ल"
निश्छल प्रेम
निश्छल प्रेम
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
बोलना , सुनना और समझना । इन तीनों के प्रभाव से व्यक्तित्व मे
बोलना , सुनना और समझना । इन तीनों के प्रभाव से व्यक्तित्व मे
Raju Gajbhiye
यूँ तो इस पूरी क़ायनात मे यकीनन माँ जैसा कोई किरदार नहीं हो
यूँ तो इस पूरी क़ायनात मे यकीनन माँ जैसा कोई किरदार नहीं हो
पूर्वार्थ
चंडीगढ़ का रॉक गार्डेन
चंडीगढ़ का रॉक गार्डेन
Satish Srijan
Loading...