दिल से दिल को जरा तुम लगाओ सनम
दिल से दिल को जरा तुम लगाओ सनम ।
मन से मन को जरा तुम मिलाओ सनम ।।
मिल जुल कर सभी को रंग लगाओ सनम ।
बैर भाव होली में अब मिटाओ सनम ।।
ओ सनम ! ओ सनम ! ओ सनम !
हमसे हुई क्या खता ये बताओ सनम ।
ज्यादा गुस्सा नहीं तुम दिखाओ सनम ।।
रंग गुलाल होली में तुम उड़ाओ सनम ।
भेदभाव मिटाकर रंग बरसाओ सनम ।।
ओ सनम ! ओ सनम ! ओ सनम !
बड़े दिन पे ये आती है होली सनम ।
इसे ऐसे ना जाया करो तुम सनम ।।
रंग है,उमंग है,आजा कर लें मिलन ।
बैर भाव इस होली में तुम अब छोड़ो सनम ।।
ओ सनम ! ओ सनम ! ओ सनम !
खुशियाँ मिले या गम बिछड़ेंगे ना हम ।
आजा एक दूजे की खायें कसम ।।
दुःख मिटे इस होली में सबका सनम ।
खुशियाँ बरसे सभी के ही घर में सनम ।।
ओ सनम ! ओ सनम ! ओ सनम !
भेदभाव मिटा दें आज हम अपना सनम ।
मिल जुल कर हमें तुम रंग लगाओ सनम ।।
हमसे नफरत मिटा दो प्यार अपना दिखा दो ।
बैर भाव होली में तुम अब छोड़ो सनम ।।
ओ सनम ! ओ सनम ! ओ सनम !
रंग है,उमंग है,आजा कर लें मिलन ।
जा रहा हूँ अब मैं तेरे शहर से सनम ।।
नफरत मिटाकर मुझको अपना बना लो ।
दिल से दिल को जरा तुम लगा लो सनम ।।
ओ सनम ! ओ सनम ! ओ सनम !
बनो मन का ना इतना तुम कठोर सनम ।
रंग है,उमंग है,आजा कर लें मिलन ।।
मन से मन को जरा तुम मिलाओ सनम ।
दिल से दिल को जरा तुम लगाओ सनम ।।
ओ सनम ! ओ सनम ! ओ सनम !
ना जाने कब हम मिलेंगे, फिर तुमसे सनम ।
जा रहा हूँ अब मैं, इस शहर से सनम ।।
ऐ सनम, इस होली में हम ।
रंग है,उमंग है,आओ कर लें मिलन ।।
ऐ सनम, इसी होली में हम !
भेदभाव मिटा लो मुझको अपना बना लो ।
दिल से दिल को जरा तुम मना लो सनम ।।
एकदूजे में हम अब खो जायें सनम ।
एकदूजे के हम अब हो जायें सनम ।।
ओ सनम ! ओ सनम ! ओ सनम !
बैरभाव इस दिल से मिट चुका है सनम ।
दिल से दिल ये तेरा हो चुका है सनम ।।
ऐ सनम,ऐ सनम, इसी होली में हम ।
रंग है,उमंग है,आजा कर लें मिलन ।।
कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 14/02/2023
समय – 03 : 40 (रात्रि)