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27 May 2023 · 1 min read

दिल में पीड़ा

अँखुआई है
दिल में पीड़ा,
सन्नाटे को पढ़कर।
ग्रहण लगाती है
खुशियों को,
गर्द गमों की चढ़कर।।

जान बचाने के
लोगों को,
पड़े हुए हैं लाले।
छोड़ सुरक्षा
कवच अनोखा,
बैठे हैं भ्रम पाले।

मार्ग दिखाना
होगा सबको,
इनको आगे बढ़कर।।

काम सदा
मढ़ने के आतीं
मरी हुई ही खालें।
त्याज्य मानकर
इन्हें न छोड़ें
मिलकर सभी सँभालें।

थाप खुशी की
रहें लगाते,
फटे ढोल को मढ़कर।।

मन का बच्चा
सदा खोजता,
सुख का एक खिलौना।
दुख के सघन
अँधेरे को वह,
करना चाहे बौना।

हमें सबेरा लाना होगा,
नूतन सूरज गढ़कर।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय

Language: Hindi
1 Like · 181 Views

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