दिल पागल, आँखें दीवानी
#दिनांक:-5/5/2024
#शीर्षक:-दिल पागल ,ऑंखें दीवानी।
व्यक्तित्व को हर दिन निखारते हैं,
परिपूर्णता सादगी में ही पाते हैं ।
बड़ी अनमोल बड़ी सयानी,
दिल पागल; आँखे दिवानी ।
बहुत लुभावन आव-भाव,
गद-गद होता मन का भाव ।
सौम्यता सलीका का गहना,
इज्जत शर्म हया को पहना ।
आकर्षण बात- व्यवहार में,
आकर्षित आचार-विचार में ।
न लाली लगाई न काजल लगाया,
न गजरा सजाई न इत्र महकाया ।
फिर भी सब मुरीद हुए जा रहे हैं,
बिन रिश्ते एहसास किए जा रहे हैं ।
साधारण हो स्वाभिमान में जंचती है,
सादगी श्रृंगार से प्रतिदिन सजती है ।
प्रेम धारण कर; प्रेम ही प्रेम फैलाती है,
क्योंकि,
श्रृंगार को सादगीपूर्ण श्रृंगार ही सजाती है ।
(स्वरचित)
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई