दिल की वफाई
दिल की वफाई
जब भी उससे मिलती हूँ
कम्बख्त दिल जोर से धड़कता हैं
टूट गया था उसकी बेवफ़ाई से
पर आज भी उसको देख सलीके से याद करता है
हर रोज़ सुबह जब भी आंखे खुलती हैं
उसको ही याद कर परेशान हो जाता हैं
दिल की वफादारी भी क्या कमाल की हैं
जिसने तोड़ा सही को टूट कर याद करता है
निगाहे न उसकी उठती है तो मुझसे मिलती ही नही
निगाहे मेरी उठती हैं तो वो जज्बात याद आते हैं
बस दिल की धड़कने बढ़ जाती हैं
कमबख्त फिर भी उसी के लिए ही धड़कता हैं
आवाज करता हैं उसके लिए ही उसी को
आपका आखिरी किस्सा मान लेता है
दुनिया मे देखो दिल से वफादार कौन होता हैं
जिसने तोड़ा उसी के लिए जिंदगी भर धड़कता हैं
उसकी धड़कन ही ज़िंदगी का किस्सा बन जाता हैं
दिल तो रूह से रूह तक का रिश्ता निभाता हैं
दिल से वफादार आज भी कोई नही होता हैं
कमबख्त आज भी बेवफा के लिए ही धड़कता हैं
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद