दिल की बेदना
मेरे दिल में बिरह के दर्द छुपे ,तू क्यों आजमाती जान मेरी।
तू जान मेरी जन्नत तू ही,फिर क्यों तड़पती जान मेरी।।
नयनो में मेरे दिल में तू ही,क्यों मुझको सताती जान मेरी।
तेरा दिल बड़ा कोमल प्यारा सा,क्यों दिल को रुलाती जान मेरी।।
तू सुन्दर सलिल सुकोमल सी,क्यों दिल को जलाती जान मेरी।
बिरह में पागल कृष्णा तेरा,क्यों तू आजमाती जान मेरी।।