दिल की बातें….
मैंने सोचा था,इन सारी बातों को कभी ख़ुद पर तो हावी होने ही नहीं दूँगी,तो आप सबके साथ साझा करना तो दूर की बात है। पर मैंने अपने आप से ये भी वादा किया था कि कुछ भी छुपाऊँगी नहीं।जो मेरे मन में,हृदय में,दिमाग में होगा,उन सारी अभव्यक्तियों को कलमबद्ध करने में ज़रा भी वक़्त नहीं लूँगी, क्योंकि जो मेरे मन में आता है,मुझे लगता है, जितना जल्दी हो सके उसे व्यक्त कर दूँ,तो मेरे मन का बोझ हल्का हो जाए। वैसे मैं हूँ, बहुत अंतर्मुखी स्वभाव की,जब तक मैं न चाहूँ, मेरे मष्तिष्क में किसी भी प्रकार की बातें या फ़िर कुछ भी ऐसा,जो मैं नहीं चाहती कि उसके बारे में सोचूँ,आ नहीं सकता। पर कभी – कभी पता नहीं क्यों हम उस चीज़ या बात को सोचने पर विवश हो जाते हैं, कुछ ऐसा ही फ़िलहाल मेरे साथ हो रहा है। मैं ये भी जनती हूँ कि अभी जो हमारा समय है, हमारी उम्र है, वो अपने लक्ष्य को हासिल करने की है।अपनी उम्मीदों को पूरी करने की है।अपने भविष्य को संवारने की है। जीवन के इस अति महत्वपूर्ण एवं उत्साह भरे मार्ग पर हमें बड़े ही संभलकर चलने की ज़रूरत है, हमारे द्वारा उठाया गया एक भी ग़लत क़दम हमें गिराने के लिए पर्याप्त हैं। ये सारी भावनाएं तो आती और जाती रहेंगी,किंतु हमें लक्ष्य प्राप्ति का अवसर बार – बार नहीं मिलेगा।ये यौवन अवस्था का उम्र होता ही ऐसा है,हमारे लक्ष्य के मार्ग में बहुत सारी बाधाएँ उत्पन्न करता है,परंतु जीत वही जाता है,जिसने अपनी इंद्रियों को वश में कर रखा है, जिसने अपने हर अंतर्मन की बातों को किसी से भी साझा नहीं किया। मैं ठीक इसी प्रकार की हूँ, अब तक मैंने सबकुछ अपने वश में रखा,अपनी अभव्यक्तियों को ऐसे ही कहीं भी उजागर होने नहीं दिया,क्योंकि मुझे पता है कि मेरा अपना आत्मसम्मान है, अपनी आत्मरक्षा है,जो पूरी तरह से केवल और केवल मेरे ही हाथों में है,और जो मुझे बहुत प्यारी भी है। ये इतनी कीमती हैं कि इसके समक्ष सब तुच्छ हैं।किंतु हम इस सच्चाई से भी मूँह नहीं मोड़ सकते कि ये अवस्था उस वक्त का भी है,जब हमारे पाँव एक न एक बार तो अवश्य लड़खड़ाते हैं। पता नहीं क्यों होता है इस तरह,क्यों नहीं ये सारी बातें हमें हमारे कार्य में संलग्न छोड़ देता है।पर ये भी बात है कि फिर हमारे धैर्य,संयम की परीक्षा कैसे होगी,कि हमने क्या कुछ खोकर या पाकर इस मंज़िल को प्राप्त किया है। इस फल में जो आनंद होगा,वो सर्वथा ऊपर होगा,फिर वह मोह रहित हो जाएगा,उसे किसी भी प्रकार का कोई बंधन रोक नहीं पाएगा। मैं आपसे झूठ नहीं बोलूँगी,कभी – कभी इस तरह की परिश्थितियाँ मेरे सामने भी आयीं हैं। एक बार नहीं बहुत बार,लेकिन मैंने बार – बार उसका मुक़ाबला बड़े ही धैर्य एवं साहस के साथ किया है, पर आगे कब तक कर पाऊँगी,पता नहीं। पर मुझे उम्मीद है,ख़ुद पर भरोसा है कि मैं कर सकती हूँ, और कर भी लूँगी।बस मेरा नियंत्रण सदैव मुझपर बना रहे।अगर आपके जीवन में किसी का प्रवेश होता भी है, जिससे आपको कोई आपत्ति नहीं,तो भी आपको इस बात का ख़्याल जरूर रखना चाहिए कि आप एक दायरें में रहें उसे पार ना करें।हर काम सही समय पर ही शोभमान है। अगर कोई भी कार्य बेसमय की जाए तो उसका रस,आंनद एवं मिठास सब समाप्त हो सकता है।अतः नियत्रंण तो नितांत आवश्यक हैं ही, साथ ही कुछ इच्छाओं की पूर्ति भी समय की माँग बन जाती है। सभी अपना – अपना स्वमं देख लें कि उन्हें क्या और कब करना है।
धन्यवाद!
सोनी सिंह