दिल्ली अभी दूर
*हास्य *कविता
दिल्ली अभी दूर
लोगों ने कहा
उन्हें लगा मैं हूँ मजबूर
मैंने तंज कसा
चलते जाऊंगा
तो पहुंच पाऊंगा जरूर
लोग हट गये पीछे कह कर
इस आदमी को जरूर है शुरूर.
पहुंचेगा जरूर.
उप्पस 403 पेज़
समथिंग वेंट रोंग
ये तो पहुंच गया लखनऊ जरूर