दिलबर दिलबर
drarunkumarshastri _एक अबोध बालक _arunatript
* दिलबर दिलबर *
हर कोई खुशनसीब हर बार नहीं होता ।
हर किसी की किस्मत में यार नहीं होता ।
नसीब होता है सभी का , लेकिन दिल गीत गाने लगे ।
ऐसा तो मेरे यार हर किसी का नसीब नहीं होता ।
चार दिन हो खुशी हो सकता है, कोई गम न हो
फिर उसके बाद दिन ढल जाता है, प्यार का बुखार नहीं होता ।
हर समय दिन ही हो यार ये बात तो जचती नहीं ।
सोच पर तो हर किसी का एतबार भी नही होता ।
तुम मिले आज मुझे , अच्छे भी लगे, हो सकता है ।
तुमको भी मैं पसंद आऊँ हा हा हा ऐसा खुशनुमा रविवार नहीं होता ।
साथ दूंगा जन्म भर तुम्हारा सब कहते हैं, और चाहते भी ।
साथ रहना सदा किसी के लेकिन सोचिए ये हाँथ में कहां होता ।
मैंने जब हाँथ पकड़ा था उसका , तो वो शरमा गई थी ।छुई मुई के पौधे सी, अब तो वो अभ्यस्त हो गई है,
कोई प्रतिक्रिया नहीं देती है और रहती निशब्द सी है
दिन बीतने के साथ आकर्षण हम दोनों के बीच बुझे चूल्हे जैसा ठंडा ।
आओं बैठो करें बात जब सोचते हैं तो पता ही नहीं चलता।
सामने बिखरा पड़ा होता है अनगिनत कामों का पुलंदा ।
तुम मिले आज मुझे , अच्छे भी लगे, हो सकता है ।
तुमको भी मैं पसंद आऊँ हा हा हा ऐसा खुशनुमा रविवार नहीं होता ।
साथ दूंगा जन्म भर तुम्हारा सब कहते हैं, और चाहते भी ।
साथ रहना सदा किसी के लेकिन सोचिए ये हाँथ में कहां होता ।
खुदा ही सुन्दर हैं वो ही सत्य, सनातन दिव्य निरंतर और अनन्त।
इन्सानों की दुनिया में खलबली शोर शराबा फ़ैला रहता
दो पल का बसंत।
मैं और तुम मिले आज कल को बिछुड़ जाना होगा विधि सम्मत तो यही लगता है।
तू मेरी जिन्दगी मैं तेरा दिलबर फिर तो ये राग सखी एकदम बचकाना होगा ।
हर कोई खुशनसीब हर बार नहीं होता ।
हर किसी की किस्मत में यार नहीं होता ।
नसीब होता है सभी का , लेकिन दिल गीत गाने लगे ।
ऐसा तो मेरे यार हर किसी का नसीब नहीं होता ।