दिमाग और दिल
दिमाग और दिल
दिमाग और दिल का भी अपना ही एक अंदाज है
यू तो रहते है दोनों एक दूसरे पर निर्भर
लेकिन जब देखो झगड़ते रहते है दिन भर
दिल कहता है मेरी है चलती
दिमाग कहता है तेरी नही मेरी है चलती
दिमाग कहता है की अरे दिल तू जा यहां से
तेरी यहां कोन सुनता है
तू जब देखो सबको बस इमोशनल करता रहता है
और अपने प्यार के झासे में फँसाता रहता है
वही दिल कहता है अरे दिमाग तू जा यहां से
तू अपने आप को बड़ा स्मार्ट समझता है
जब देखो इधर से उधर भागता रहता है
कभी भी एक जगह नही टिकता है
दिन भर पता नहीं क्या सोचता रहता है
और जब आये करने की बारी तु सुन पड़ जाता है
इनका काम है दिन भर उलझना
लेकिन फिर भी साथ है चलना
श्री रावत,,,