” दिन बचपन के “
किसे पता था दिन बचपन के यारों यूं खो जाएंगे ,
हम लाख पुकारेंगे इनको पर लौट के फिर ना आएंगे Il
गिल्ली डंडा खेल कबड्डी सब खानपान खो जाएंगे,
मां हो जाएगी मम्मी बापू डैडी हो जाएंगे .
किसे पता था दिन बचपन के यारों यूं खो जाएंगे l
वो आंगन की किलकारी वह भाई बहन का प्यार ,
वो एक दूजे संग आंख में चोली वो छोटी-छोटी बातों पर तकरार .
राजेश खेदड़ कुछ लिख दे ऐसा वो दिन लौट के फिर कब आएंगे Il
किसे पता था दिन बचपन के यारों यूं खो जाएंगे ,
हम लाख पुकारेंगे इनको पर लौट के फिर ना आएंगे II
लकी राजेश !
खेदङ ( हिसार ) Haryana.