दिन निकला
दिन निकला,
और मैं चला,
पथ दुर्गम,
करता कर्म,
बहाकर पसीना,
गर्व से तानता सीना,
मान विधाता की इच्छा,
सब स्वीकार लगता अच्छा,
कर्म पथ पर चलता जाता,
कर प्रणाम मैं रवि को चलता जाता,
।।।। जेपीएल ।।।।
दिन निकला,
और मैं चला,
पथ दुर्गम,
करता कर्म,
बहाकर पसीना,
गर्व से तानता सीना,
मान विधाता की इच्छा,
सब स्वीकार लगता अच्छा,
कर्म पथ पर चलता जाता,
कर प्रणाम मैं रवि को चलता जाता,
।।।। जेपीएल ।।।।