Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 May 2023 · 1 min read

दायरे से बाहर ( आज़ाद गज़ल संग्रह)

जीत कर भी आजकल मुझे हार लगता है
सुना सुना सा ये भरापुरा संसार लगता है।
इस कदर तन्हाइयां कर रही तीमारदारी
खाली ये कमरा ही अब परिवार लगता है ।
हूँ तो वर्षो से मैं इसी आँगन के आगोश में
खफ़ा खफ़ा सा क्यों दरो दीवार लगता है।
ज़िंदा हूँ जुदा हो कर भी ज़माने में जबरन
मगर सच कहूँ तो जीवन बेकार लगता है।
सुन कर तेरी बातें अजय हो गया यकीन
कि अपने आप से ही तू बेज़ार लगता है ।
-अजय प्रसाद

1 Like · 148 Views

You may also like these posts

ज़िंदगी की
ज़िंदगी की
Dr fauzia Naseem shad
पंछी अब तुम कब लौटोगे?
पंछी अब तुम कब लौटोगे?
Dr. Sukriti Ghosh
स्याही की इक बूँद
स्याही की इक बूँद
Atul "Krishn"
हरियाली तीज....
हरियाली तीज....
Harminder Kaur
दोहावली
दोहावली
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
बधाई हो
बधाई हो
उमा झा
3338.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3338.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
किसी भी रूप में ढ़ालो ढ़लेगा प्यार से झुककर
किसी भी रूप में ढ़ालो ढ़लेगा प्यार से झुककर
आर.एस. 'प्रीतम'
👌ग़ज़ल👌
👌ग़ज़ल👌
*प्रणय*
Way of the Water
Way of the Water
Meenakshi Madhur
জয় হনুমান জয় হনুমান
জয় হনুমান জয় হনুমান
Arghyadeep Chakraborty
आनंद नंद के घर छाये।
आनंद नंद के घर छाये।
श्रीकृष्ण शुक्ल
काश
काश
Sonu sugandh
संवेदना की पहचान
संवेदना की पहचान
Dr. Vaishali Verma
इंतजार
इंतजार
NAVNEET SINGH
है बाकी मिलना लक्ष्य अभी तो नींद तुम्हे फिर आई क्यों ? दो कद
है बाकी मिलना लक्ष्य अभी तो नींद तुम्हे फिर आई क्यों ? दो कद
Ritesh Deo
हाथ की उंगली😭
हाथ की उंगली😭
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मजदूरों से पूछिए,
मजदूरों से पूछिए,
sushil sarna
सजल
सजल
seema sharma
सबरी के जूठे बेर चखे प्रभु ने उनका उद्धार किया।
सबरी के जूठे बेर चखे प्रभु ने उनका उद्धार किया।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
42...Mutdaarik musamman saalim
42...Mutdaarik musamman saalim
sushil yadav
कविता
कविता
Nmita Sharma
पुरूष भी दर्द से बिलखता है।
पुरूष भी दर्द से बिलखता है।
Rekha khichi
शब्द
शब्द
Dr. Mahesh Kumawat
Never ever spend your time on people who has lost the capaci
Never ever spend your time on people who has lost the capaci
पूर्वार्थ
मुझको आँखों में बसाने वाले
मुझको आँखों में बसाने वाले
Rajender Kumar Miraaj
"ये कैसा जुल्म?"
Dr. Kishan tandon kranti
भाव गान
भाव गान
Deepesh Dwivedi
कुण्डलियाग
कुण्डलियाग
अवध किशोर 'अवधू'
जीते हैं शान से
जीते हैं शान से
Sudhir srivastava
Loading...