दान
शीर्षक – दान
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सच तो हम सभी के दान होते हैं।
कर्म भूमि में सभी के जीवन रहते हैं।
हमारे सपने हमारे दान के साथ हैं।
सच और सोच हमारी रहती हैं।
दान ही तो हमें समझने की बात है।
आज कल बरसों के साथ रहता हैं।
हम सभी मानव समाज दान मानते हैं।
महिमा और महत्व हमें कुछ कहते हैं।
दान के साथ साथ हमारे फल मिलते हैं।
न स्वार्थ के मन भावों में रिश्ते नाते होते हैं।
हां सच जीवन के दान और सहयोग रहते हैं।
दान ही सात्विक और सार्थक प्रयास होता हैं।
आओ मिलकर हम सभी दान जो करते हैं।
न कोई अहम और वहम हम सभी जानते हैं।
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नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र