!! दाती तू है तो सब कुछ है !!
नहीं चाहिए कार और बंगला
न सोने का हार दातीये
तेरा दर्शन हो जाई एक बार
यही बहुत है मेरे लिए दतीये
तेरे दर ते आके मेरे कम
सारे ही पूरे हो जांदे ने
में ते मंगदा खैर दातिये
अपने आप भण्डार भर जांदे ने
सदा रखीं अपने संग मेनू
होर नहीं कुछ मैं मंगदा
अपने चरना दे नाल रखी
मेरा सदा परिवार दातीये
अपने दर्शन दें दी रह
तार जाएगा सारा सार दातीये
मैं तां पापी इस दुनिया दा
बस मेरा कर दे बेड़ा पर दातीये
अजीत कुमार तलवार
मेरठ