दशरथनन्दन
[04/12/2021, 17:23
चौपाई छंद मापनीमुक्त
16 मात्रा
आदि में द्विकल त्रिकल त्रिकल वर्जित
अंत में गाल २१ वर्जित
दशरथ नंदन दैत्य निकंदन।
सकल विश्व करता है वंदन।
तुम इस जग से हो रखवारे।
तुमने सबके काज संवारे।।
मार दिया रावण व्यभिचारी।
मुक्त हुई लंका भी सारी।
हुई खुशी सबको अति भारी।
खुशी मनाते नर अरु नारी।
सब जन मिलकर मंगल गाएं।
नाच नाच कर खुशी मनाएं।।