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28 Nov 2018 · 1 min read

दर्पण

भावों के मोती दिनांक 28/11/2019
दर्पण

मैंने
हॄदय मे
लगा रखा है
दर्पण प्रिय

तुम्हारी
हर व्यथा
हर दर्द
का
प्रतिबिम्ब है
यह दर्पण प्रिय

मन की बात
चेहरे के भाव
अब तो सब
समझ
जाती हूँ प्रिय
क्यो कि दर्पण
ही एक ऐसा
है प्रिय
जो खुद बदनाम
होता रहा
पर
सच्चाई सब को
दिखाता रहा

टूट कर भी
दर्पण
अपना वजूद
खोता नहीं
हर टुकड़े में
हजार चेहरे
दिखाता प्रिय

(और आखिर में)

प्रिय
साथ चले थे
साथ चलते रहे
जहाँ तलक
दर्पण
राह रोशन करता चले
जिस दिन
हम
थक जाऐंगे
थम जाऐगे
दर्पण भी औझल
हो जाऐगा

स्वरचित
लेखक संतोष श्रीवास्तव बी 33 रिषी नगर ई 8 एक्स टेंशन बाबडिया कलां भोपाल

Language: Hindi
3 Likes · 1 Comment · 283 Views
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