क्यों प्यार है तुमसे इतना
क्यों प्यार है तुमसे इतना, मालूम नहीं है हमको।
क्यों चाहते हैं तुमको इतना, मालूम नहीं है हमको।।
क्यों प्यार है तुमसे इतना—————–।।
कोई रिश्ता मुझसे तेरा, जबकि नहीं है मेरे यारा।
फिर भी क्यों कहता हूँ तुम्हें, साथी अपना यारा।।
कहता हूँ क्यों तुमको सपना,मालूम नहीं है हमको।
क्यों प्यार है तुमसे इतना—————–।।
कैसा मैं इंसान हूँ यारा, देता हूँ उसको ही इज्जत।
करता नहीं है जो मेरी कद्र और, मुझसे मोहब्बत।।
क्यों तुम हो जिंदगी की खुशी, मालूम नहीं है हमको।
क्यों प्यार है तुमसे इतना——————।।
खास उससे मैं करता प्यार, जो कुर्बान है मुझ पर।
मैं खुशी उसको ही देता, जो दिल से है मेरा दिलबर।।
क्यों तुमसे ही मिलता है सुकुन, मालूम नहीं है हमको।
क्यों प्यार है तुमसे इतना—————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)