दर्द
मैं दर्द का आशना हूँ –
मेरी फितरत नहीं औरों को तंग करने की ,
इसीलिये हँसी के गुब्बारे बाटता हू ज़नाब!!
कभी गम गलत करने जो महफिल मे आईए,
मौसीकी की मानिन्द ज़हन मे उतर जाऊगा!!
बाद मेरे मुझ बदनाम शायर को करैगे तलब,
तब मेरे अल्फाज़ बया करैगे दर्द का फसाना!!
नही मुझे शिकवा किसी इल्म दा से अब तलक,
बाद मरने के क्या किसी पर तोहमत लगाना?