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28 Jan 2020 · 1 min read

दर्द

होते हैं
आंसू बड़े
बेदर्द
सह सकते
नहीं दर्द

करते नहीं
दर्द किसी से
बेबफाई
करते हैं बफाई
बेरहमी से

जब भी
होती है बात
दर्दे-ए-दिल की
याद आयेगे
बदनसीब
हीरा-रांझा हरदम

छिपा
दिल का दर्द
देता है आहें
दर्दभरी

समझो
पीड़ा दर्द पराई
थामेगा मौला
हाथ
फकीर

तोलो मत
रिश्तों को
पैसे से
होते
दर्द के
रिश्ते
फरिश्ते

सहा है
इतना दर्द
“संतोष”
अब तो दर्द
हो गये बेदर्द

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

1 Like · 1 Comment · 522 Views
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