दर्द
कोई प्रेमी जब छोड़ चला जाता हैं,
तो वह असीम पीड़ा से भरी दर्द कहलाता है,
तो फिर,
उस माँ के अहसास को क्या कहेंगे,
जब उन्हें अपने हि घर मे पराया कर दिया जाता,
भोजन मांगने पर भागने को कह दिया जाता,
उस परिवार के भावना को क्या कहेगें,
जो क्षणिक प्रित के लिए,
उन्हें ताने से पिड़ा के कुएँ मे धकेल आएं,
उस भाई के आसूँ को क्या कहेंगे,
जिसके हाथ सिर्फ,
कुछ पैसे के लिए सूनी हो गई,
उस पीड़ा को क्या कहेगें,
जीसका, माँ ने तुम्हें लाने के लिए,
संसार दिखाने के लिए, अनुभव किया,
पर उन्हें क्या मिला,
उनके इज्ज्त को, प्रेम को
मिट्टी मे मिलाकर ,
उस क्षणिक प्रेम के लिए घर छोड़ दिया,
क्या “दर्द” कि परिभाषा जानता उनसे बेहतर कोई,
जिसनें तुमकों जिवन दिया, संसार मे जीना सिखाया,
उन्हें कचरे के समान कवाड़ खाने मे ढ़केल दिया