दर्द
दर्द दिया तो दवा क्यो दी है
जलती आग को हवा क्यो दी है
बात छिपाने को कहकर सबसे बता क्यो दी है
किसी को चाहते मन से सही है ये जता क्यो दी है
मिलना नही था तब भी सही गलत पता क्यो दी है
साफ कह देना मना करना सही पर खता क्यो की है
विन्ध्यप्रकाश मिश्र नरई