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26 Mar 2018 · 1 min read

दर्द का सिलसिला

ग़ज़ल
काफ़िया-आ
रदीफ़-वो क्या जाने
बह्र-2122 1212 22

“दर्द का सिलसिला”
****************

दर्द का सिलसिला वो क्या जाने।
ज़िंदगी का मज़ा वो क्या जाने।

अश्क देकर गया जो आँखों में
आशिक़ी में वफ़ा वो क्या जाने।

जो न समझा मेरी ख़ुदाई को
ज़ख्म देता दुआ वो क्या जाने।

दे भरोसा ख़ता निभा ही गया
दर्द-उल्फ़त-सज़ा वो क्या जाने

बेवफाई मुझे रुलाके गई
रोग देता दवा वो क्या जाने।

हौंसले आज भी सलामत हैं
धूल में जो मिला वो क्या जाने।

आज साहिल को पा लिया ‘रजनी’
तैर ना जो सका वो क्या जाने।

डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
महमूरगंज, वाराणसी।
संपादिका-साहित्य धरोहर

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