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15 Oct 2024 · 1 min read

दर्द- ए- दिल

दर्द उठता , बढ़ता ,
बढ़कर फ़ुग़ाँ नही होता ,

कुछ इधर , उधर, कसमसाता ,
बयाँ नही होता ,

ज़ब्ते ग़म नही छुपता ,
अश्क बन छलक ही जाता ,

कुछ थी ज़माने की फ़ितरत ,
कुछ थी कुदरत की करवट ,

मसर्रत -ए – बहार सिवा मिली
‘अज़ाब -ए – ख़िजाँ -ओ-ख़ार ।

Language: Hindi
11 Views
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