Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 May 2024 · 1 min read

दरख़्त

दरख़्त

दिल आज भी उसी ताबीर में बैठा है
जुस्तजू ए इश्क़ में अभी फ़ना होना है
वो मुँडेरों के काग भी कहीं खो गए
वो धूमिल सी शामें भी अब नहीं रही
वो चुलबुली हसरतें,लुका छुपी बादलों की
कहाँ चले गए सब ,अब सिर्फ़ एक रूदन सा कोना है,
वो स्याह सी रातों में शुभ्रता सी धवल चाँदनी,
बन हृदय के जो उद्ग़ार तुमने छेड़ें है
हम भी उसी आस में बैठे है
होगी कभी जो आज़माइशे अदावत
हम भी दरख़्तों के समान जड़ हो जाएँगे
मोहब्बत में जान निसार करेंगे
पर यूँ उनके रास्ते में ना आयेंगे ।
मेरी रूह में समाई है उनकी हर एक ख़ुशबू
बड़े क़रीब से उन्हें महसूस किया है।

डॉ अर्चना मिश्रा

Language: Hindi
1 Like · 56 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
उस की आँखें ग़ज़ालों सी थीं - संदीप ठाकुर
उस की आँखें ग़ज़ालों सी थीं - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
आरजी जिंदगी है ...हिसाब किताब होगा सब आखिरत में......
आरजी जिंदगी है ...हिसाब किताब होगा सब आखिरत में......
shabina. Naaz
रास्ते और राह ही तो होते है
रास्ते और राह ही तो होते है
Neeraj Agarwal
4601.*पूर्णिका*
4601.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
राम : लघुकथा
राम : लघुकथा
ज्ञानीचोर ज्ञानीचोर
#लघुकथा
#लघुकथा
*प्रणय*
If you can't defeat your psyche,
If you can't defeat your psyche,
Satees Gond
देख लेते
देख लेते
Dr fauzia Naseem shad
अजब प्रेम की बस्तियाँ,
अजब प्रेम की बस्तियाँ,
sushil sarna
बंदिशें
बंदिशें
Kumud Srivastava
* जिन्दगी की राह *
* जिन्दगी की राह *
surenderpal vaidya
माना की आग नहीं थी,फेरे नहीं थे,
माना की आग नहीं थी,फेरे नहीं थे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
टूटते पत्तो की तरह हो गए हैं रिश्ते,
टूटते पत्तो की तरह हो गए हैं रिश्ते,
Anand Kumar
दिन निकलता है तेरी ख़्वाहिश में,
दिन निकलता है तेरी ख़्वाहिश में,
umesh vishwakarma 'aahat'
" मेरा भरोसा है तूं "
Dr Meenu Poonia
चाय दिवस
चाय दिवस
Dr Archana Gupta
रक्षाबंधन की सभी भाई बहनों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाईयां
रक्षाबंधन की सभी भाई बहनों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाईयां
Neelofar Khan
**मन मोही मेरा मोहिनी मूरत का**
**मन मोही मेरा मोहिनी मूरत का**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
प्रदूषण
प्रदूषण
Pushpa Tiwari
नशे का घूँट पीकर के तो मंथन कर नहीं सकती
नशे का घूँट पीकर के तो मंथन कर नहीं सकती
अंसार एटवी
शाम
शाम
Kanchan Khanna
इतनी बिखर जाती है,
इतनी बिखर जाती है,
शेखर सिंह
"डोली बेटी की"
Ekta chitrangini
सांवरिया
सांवरिया
Dr.Pratibha Prakash
"सलीका"
Dr. Kishan tandon kranti
प्रेम को भला कौन समझ पाया है
प्रेम को भला कौन समझ पाया है
Mamta Singh Devaa
किसी को किसी से फ़र्क नहीं पड़ता है
किसी को किसी से फ़र्क नहीं पड़ता है
Sonam Puneet Dubey
*नारी को है सम्मान जहॉं, वह धरती स्वर्ग-समान है (राधेश्यामी
*नारी को है सम्मान जहॉं, वह धरती स्वर्ग-समान है (राधेश्यामी
Ravi Prakash
"अकेलापन"
Pushpraj Anant
अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आ
अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आ
पूर्वार्थ
Loading...