दंगा
कभी दंगा होता है
मंदिर के नाम पर
कभी दंगा होता है
मस्जिद के नाम पर
दंगा नहीं होना चाहिए
कभी जाति के नाम पर
कभी साम्प्रदायिकता के नाम पर
दंगा होना चाहिए
कभी धर्म परिवर्तन के नाम पर
कभी खुदा के नाम पर
दंगा होना चाहिए
माहौल अब ऐसा ही है देश में
लोग दंगो को कराते है
लोगों की सहानुभूति पाने के लिए
लाखों लोग बेघर हो जाते है
लाखों जिंदगी दम तोड़ देती है
भरोसा उठ जाता है भगवान से
दंगों कराती है राजनैतिक पार्टियों का
वोटों की राजनीति होती है यहाँ
हमदर्दी दिखा करके
यदि अल्ला मौला एक ही है
मंदिर मस्जिद दोनों में है
एक ही भगवान
फिर झगड़ा क्यों मजहब का
इंसानियत रूह एक ही है
सभी मजहबों की
रगों से निकलने वाला खून एक ही है
फिर यह झगडा क्यों मजहब का
धर्म सभी जाते है खुदा की ओर
सत्य अहिंसा सदाचार निचोड़ है
सब भजते है उसी को
फिर यह झगड़ा क्यों