थोड़ा सा तो रुक जाते
ऐसी भी क्या जल्दी थी तुमको जाने की,
थोड़ा सा तो रुक जाते।
कितनी मोहब्बत करते हैं तुमसे
तुमको ये बताते,
थोड़ा सा तो रुक जाते।
मेरे कांधे पर रखते सर अपना, कभी हम तुम्हारे बालों को सहलाते और कभी तुम मेरी खुली झुल्फों के साए में सो जाते,
थोड़ा सा तो रुक जाते।
तुम्हें होता कोई दर्द तो नैन हमारे आंसुओं से भीग जाते,
तुम लेते मेरा नाम और हम दौड़े चले आते,
थोड़ा सा तो रुक जाते।
प्यार कितना करते हैं तुमसे, काश तुम ये जान पाते।
साथ तुम्हारा उम्र भर निभाते,
थोड़ा सा तो रुक जाते।
लिखते हैं थोड़ा बहुत अभी हम,
बाद में तुम पर ग़ज़ल और गीत बनाते,
थोड़ा सा तो रुक जाते।