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2 Mar 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

मिले तुम जो सफ़र में हो तबीयत हो गई अच्छी
हुआ तुमसा मेरा दिल हर कि आदत हो गई अच्छी/1

तेरी हर बात में ज़ादू सुनूँ सुनता ही जाऊँ मैं
असर ये प्यार का सुनने की ताक़त हो गई अच्छी/2

नज़र तुमसे मिली भूला ज़माना सब हसीं मंज़र
किसी को चाहने की आज रहमत हो गई अच्छी/3

दिलों के मेल होते हैं रुहानी प्रेम की ख़ातिर
सुना था ये मगर देखा हिमायत हो गई अच्छी/4

मुहब्बत सीख ली जबसे खिली मुस्क़ान होठों पर
करूँ जो काम लगता है कि बरकत हो गई अच्छी/5

अगर हों भाव प्यारे तो सुने वो दाद देता है
यही ले फ़लसफ़ा मेरी लियाक़त हो गई अच्छी/6

मेरे ‘प्रीतम’ हमारा साथ सूरज-रोशनी जैसा
इसे देखा उसी की सुन इबादत हो गई अच्छी/7

शब्दार्थ:- रहमत- कृपा, हिमायत- तरफ़दारी, बरक़त- कमाई, लियाक़त- योग्यता, इबादत- पूजा

आर. एस. ‘प्रीतम’

Language: Hindi
1 Like · 38 Views
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