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8 Feb 2018 · 1 min read

थाम प्रीत की डोर

मन की उड़ी पतंग भी , थाम प्रीत की डोर
ऊँची देख उड़ान को, नाचा मन का मोर
नाचा मन का मोर, सुनाई देती छम छम
हवा करे मदहोश, बसंती आया मौसम
मिला ‘अर्चना’ प्यार, मिली खुशियां जीवन की
चटक बनी है फूल, कली भी अपने मन की

08-02-2018
डॉ अर्चना गुप्ता

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