नेतागिरी करने लगा है, जज तुम्हारा फैसला (हिंदी गजल/ गीतिका)
नेतागिरी करने लगा है, जज तुम्हारा फैसला( हिंदी गजल/गीतिका )
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(1)
साहिब नहीं मानें बुरा, पढ़िए दुबारा फैसला
नेतागिरी करने लगा है, जज तुम्हारा फैसला
(2)
इस बार जज साहब इलेक्शन,आप लड़ ही लीजिए
आपका हो इस तरह, जनता के द्वारा फैसला
(3)
दिल में है नेतागिरी, कुर्सी मगर जज की मिली
क्या करे आफत का है, मारा बिचारा फैसला
(4)
जनता-जनार्दन है बड़ी, सब कुछ कि जो रचती रही
होगा सदा हर मोड़ पर, उसका ही खारा फैसला
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 545 1