तो शीला प्यार का मिल जाता
ये दिल मेरा गर, तेरे दिल से मिल जाता
तो शिला प्यार का मिल जाता ।
ये तेरी खुशबू गर, मेरे रूह को मिल जाता
तो फूल प्यार का खिल जाता।
मेरी आरजू जो समझ लेती, तेरा तासीर ही अलग होती
हो निसार मेरा ऐसा कि, वो खुमार ही अलग होती
मेरी इल्लत जो तेरी अच्छाइयों से मिल जाता
तो शिला प्यार का मिल जाता।
इबादत करो की इजतीरार, हो हम दोनो का
इख्तियार हो हम दोनो का
तेरी जमानत गर मेरे लिए बढ़ जाता
तो शिला प्यार का मिल जाता।
यू हरपल, अजीम की तरह क्यों रहती हो
क्यों मुझे आकर कुछ नही कहती हो
बस मुझपे फिदा जो तेरा दिल हो जाता
तो शिला प्यार का मिल जाता।
✍️ बसंत भगवान राय