तो क्या हुआ
तो क्या हुआ
तो क्या हुआ अगर वह मुझे
लोरी गाकर नहीं सुनाते ।
मां डांटे कभी तो वही तो
मेरे पक्ष में बोल कर उन्हें समझाते ।
तो क्या हुआ अगर सामने से
तो अपने जज्बातों को छुपाते।
चली जाऊं दूर कभी तो
वही तो फिर कहीं अकेले में
अपने आंसू छुपाते ।
तो क्या हुआ अगर उन्हें मेरी बिजी
जिंदगी में ज्यादा मतलब नहीं
अनजान बन के सही
दिखाते तो वही है रास्ता सही ।
तो क्या हुआ अगर वो अपनी
बात रख नहीं पाते
बिन कहे ही वह इतना कुछ लाते
जिसे हम समेट नहीं पाते।
तो क्या हुआ अगर आज पास मेरे
उनको देने के लिए कुछ नहीं
पर मेरे यह शब्द ही खुलेंगे
उनके दिल को कहीं।
तो क्या हुआ अगर उन्होंने
मुझे कभी डांटा
उस डांट से ही तो हटा
जीवन का कांटा।
तो क्या हुआ अगर उन्हें प्यार से
मनाना नहीं आता
उनकी चुप्पी से ही मेरा मन समझ जाता
उनके प्यार तो समुद्र जैसा गहरा है
कुछ ना कहकर भी बोल जाए
उनका ऐसा चेहरा है
अपनी बिटिया को बचाने को लगा उनका हर तरफ पहरा है ।
तो क्या हुआ उनके संग
जिंदगी भर ना रह पाऊं
दूर रहकर भी मैं उनके लिए
वो सारी खुशियां लाऊंगी
जिसके वह हकदार हैं
स्वरचित कविता
सुरेखा राठी