तेरे लिखे में आग लगे
(लीलाधर मंडलोई की एक कविता से प्रेरित)
तेरे लिखे में
अगर दुःख है
दुःख सबका है
तो तेरे लिखे में आग लगे
कि सबका दुःख कोई ओढ़ नहीं सकता
ओढ़ना भी नहीं चाहिए
सब में से कुछ कुछ में
कुछ को तो
दुःख देने वाला निकलेगा ही
सबका होना
सबके सुख दुख में होना दरियादिल होना नहीं है
अवसरवाद का दूसरा नाम है यह!