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7 Apr 2024 · 1 min read

जिस से रिश्ता निभाता रहा उम्रभर

212 212 212 212
जिस से रिश्ता निभाता रहा उम्रभर
वो मुझे बस गिराता रहा उम्रभर

मैंने जो कुछ कहा साफ़-सीधा कहा
वो तमाशे बनाता रहा उम्रभर

रूई कानों में वो ठूँसता ही गया
हाल-ए-दिल मैं सुनाता रहा उम्रभर

उसने चेहरे पे अपने मुखौटा रखा
आइना मैं दिखाता रहा उम्रभर

ये गुमां था उसे जीत जाता है वो
सो मैं ख़ुद को हराता रहा उम्रभर

-जॉनी अहमद ‘क़ैस’

Language: Hindi
25 Views
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