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10 Feb 2021 · 1 min read

तेरे प्रेम से संपूर्ण मैं

साजन तेरा और मेरा बंधन अटूट है
हर पल मेरा श्रृगांर इसी से तो पूर्ण‌ है
तेरे स्पर्श से माथा की बिंदिया चमकती है
सूरज की किरण जैसे ही उसे सजाती है
लाल सिंदूर की लालिमा इतनी गहरी
तेरे प्रेम से सजी मैं प्रेयसी हूँ तेरी
उफ!यह कजरा मेरे नयनों में बस कर
निंदिया चुरा लेता है मेरे यारा की ऐसे
नथ नटखट इतराती खुद पर इतना
साजन जब देखते टकटकी बांधे उसे
लाली होठों की बस प्रेम गीत गाती है
सजन को यूँही रिझाना जैसे जानती है
कानों का झूमका अपनी धुन में रहता
हौले से पिया को पास ही बुला लेता
साड़ी जो बांधी मन मोहने वाली ऐसी
सुंदरता खिलती मेरी और भी कितनी
हरी हरी चुड़ियांँ शोर इतना हैं मचाती
तुम आ जाओ प्रिय इंतजार हुआ है भारी
पायल शोर नहीं आज ही जो मचाती
तुम पास आ सुकून से बस प्रेमगीत सुनते
तेरे हर शब्द से धड़कन मतवाली होती
ओ पिया तूने ये जादूगरी कहाँ से सीखी
हर पल तेरा प्रेम मुझसे इतना गहराता
अपनी किस्मत की नजर ही मैं उतारती
आज चांदनी रात में आओ सब बिसराते
एक दूजे के प्रेम को बस महसूस करते
सुंदरता से भरी सादगी की मूरत कहते मुझे
प्रिया सांसों में बस पूर्ण करती तुम ही मुझे
हमारा समर्पण संपूर्ण हो मुस्काना सिखाता
प्रति छण जीवन भर संग का वादा कराता
तुम्हारे प्रेम से सोलह श्रृगांर कर मैं निखरी
हर जन्म तेरी रहूंँ ये दुआ बस रब से करती

स्वरचित एवं मौलिक

प्रियंका प्रियदर्शिनी
फरीदाबाद हरियाणा

30 Likes · 46 Comments · 1203 Views
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