तेरी याद की इक गली
फूलों की वादियों में
तेरी याद की इक गली
तू मुझे कभी आसमान की
खिड़की से झांकती तो
कभी फूलों की खुशबुओं में
मिली
बादल का एक टुकड़ा था मैं
तू आसमान में घुला कोई
मोहब्बत का रंग
शबनम का एक कतरा था मैं
तू इश्क के इत्र से निकली
कोई सुगंध
करीब है तू दिल के कितनी
मगर यह दिल है कि तुझे
हरदम ढूंढता है
तू फूल है
मेरे ही पेड़ की डाल का
पर तेरे हुस्न का दीदार
पाने को
मेरी रूह का गुलिस्तान
तेरे जमीन पर
पड़ते पांव के
लब चूमता है
तू जन्नत है
बहारों की मल्लिका
हुस्न का समुंदर
दिल की प्रेम भरी रागिनी का तरन्नुम
मैं हवाओं का इक गुबार
जो इधर उधर
भटकता घूमे
तेरे ही मकान का दरवाजा खटखटाता
तेरा ही सबसे पता पूछे।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001