तेरी इक मुस्कराहट
तेरी इक मुस्कराहट को देख कर,
जीने की आस चहक उठती है,
वरना तो क्या कहें तुम से, सीना
भरा पड़ा है मेरा, गमो के समुंदर से !!
तेरे मीठे बोलों से खिलती है, मेरे
घर – आँगन के गुलशन कि बगिया,
तुझे कोई गम भी हो जाये तो
दर्द हर दम उठता है,रोज मेरे सीने में !!
तेरा मुस्कुराता चेहरा देखने को मैं
पल पल , हर लम्हा बेताब रहता हूँ,
इक कसक सी दस्तक दे जाती है,
जब न देख पता हूँ, तेरा मुस्कुराता चेहरा !!
तून शोभा है, मेरे आने वाले कल की,
तुझ से ही है, यह संसार मेरा सारा,
आशा करता हूँ, खुश रहे तून सदा मेरे पास,
क्या रखूँ, कल क्या होगा, ऐसी में आस !!
कवि अजीत कुमार तलवार
मेरठ