Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Oct 2023 · 1 min read

गांव मेरा क्या पहले जैसा है

मेरे मौहल्ले की हवा वही है,
लेकिन अब हवा का रुख अलग है ।

मेरे गांव की गली वही है,
लेकिन गली का आवो – हवा अलग है ।

मेरे गांव की चौपाल वही है,
लेकिन चौपाल पर बैठे चेहरे अलग हैं ।

मेरे गांव से शहर की दूरी वही है,
लेकिन उस दूरी के बीच की उलझन अलग है ।

मेरे शहर का नाम वही है,
लेकिन नाम के साथ बदनामी का दाग अलग है ।

मेरे शहर के गली मौहल्ले वही हैं,
लेकिन उन गली , मोहल्लों की रौनक अलग है ।

मेरे शहर के चौक ,चौराहे वहीं हैं,
लेकिन उन चौक ,चौराहों की बरकत अलग है ।

जब सब कुछ पहले जैसा है,
तो फिर आपस में भाईचारा की कमी क्यों।

जब सब कुछ पहले जैसा है,
तो फिर समाज में नफ़रत का बीज क्यों ।

जब सब कुछ पहले जैसा है,
तो गांव,कस्बे,शहर,प्रदेश और देश में दंगे क्यों ।

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 105 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पलायन (जर्जर मकानों की व्यथा)
पलायन (जर्जर मकानों की व्यथा)
नवीन जोशी 'नवल'
नव प्रस्तारित छंद -- हरेम्ब
नव प्रस्तारित छंद -- हरेम्ब
Sushila joshi
मैं बंजारा बन जाऊं
मैं बंजारा बन जाऊं
Shyamsingh Lodhi (Tejpuriya)
चलो
चलो
हिमांशु Kulshrestha
3423⚘ *पूर्णिका* ⚘
3423⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
दोहे-
दोहे-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
गांव
गांव
Bodhisatva kastooriya
'प्रहरी' बढ़ता  दंभ  है, जितना  बढ़ता  नोट
'प्रहरी' बढ़ता दंभ है, जितना बढ़ता नोट
Anil Mishra Prahari
फ़ितरत अपनी अपनी...
फ़ितरत अपनी अपनी...
डॉ.सीमा अग्रवाल
जय श्री राम
जय श्री राम
Neha
स्वार्थ
स्वार्थ
Neeraj Agarwal
नाजुक देह में ज्वाला पनपे
नाजुक देह में ज्वाला पनपे
कवि दीपक बवेजा
*सर्दियों में एक टुकड़ा, धूप कैसे खाइए (हिंदी गजल)*
*सर्दियों में एक टुकड़ा, धूप कैसे खाइए (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
बालों की सफेदी देखी तो ख्याल आया,
बालों की सफेदी देखी तो ख्याल आया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
फितरत ना बदल सका
फितरत ना बदल सका
goutam shaw
"अहङ्कारी स एव भवति यः सङ्घर्षं विना हि सर्वं लभते।
Mukul Koushik
मैं चाहता हूँ अब
मैं चाहता हूँ अब
gurudeenverma198
तुम आशिक़ हो,, जाओ जाकर अपना इश्क़ संभालो ..
तुम आशिक़ हो,, जाओ जाकर अपना इश्क़ संभालो ..
पूर्वार्थ
मैं तेरा श्याम बन जाऊं
मैं तेरा श्याम बन जाऊं
Devesh Bharadwaj
एक हसीं ख्वाब
एक हसीं ख्वाब
Mamta Rani
जमाने से विद लेकर....
जमाने से विद लेकर....
Neeraj Mishra " नीर "
समय
समय
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
यहाँ तो सब के सब
यहाँ तो सब के सब
DrLakshman Jha Parimal
कुछ चूहे थे मस्त बडे
कुछ चूहे थे मस्त बडे
Vindhya Prakash Mishra
प्रेम
प्रेम
Rashmi Sanjay
#नहीं_जानते_हों_तो
#नहीं_जानते_हों_तो
*Author प्रणय प्रभात*
*मौसम बदल गया*
*मौसम बदल गया*
Shashi kala vyas
प्यार,इश्क ही इँसा की रौनक है
प्यार,इश्क ही इँसा की रौनक है
'अशांत' शेखर
यदि कोई केवल जरूरत पड़ने पर
यदि कोई केवल जरूरत पड़ने पर
नेताम आर सी
किस-किस को समझाओगे
किस-किस को समझाओगे
शिव प्रताप लोधी
Loading...